Tuesday, May 11, 2010

मुंबई में आतंकी हमला करने पर कसाब को सजा-ए-मौत

मुंबई में आतंकी हमला करने पर कसाब को सजा-ए-मौत की सजा मिली है, इस फेसले का स्वागत है,
पर क्या एक आतंकवादी पर 122करोड़ की आबादी वाले देश के
खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाना उचित है ? 122 करोड़ की आबादी वाले
विकाशसील देश के खिलाफ एक आतंकी की इतनी हेसिएत ?? की देश के खिलाफ जंग छेड़े. ???
मेरी बात का अर्थ ये है की, कसाब पर जो आई.पी.सी के तहत देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया गया है वो गलत है, इस तरह के आरोप एक आतंकवादी पर लगाने से हमारा देश कमजोर दीखता है,
सिर्फ एक आतंकवादी हमारे देश के साथ जंग शुरु कर देता है भारत के साथ जंग छेड़ देता है,
भारत वो देश है जहा विश्व विजेता सिकंदर भी हार कर गया,
मुग़ल, अंग्रेजो ने कितनो साल साशन किया, हम ने उन की गुलामी झेली, मगर आज भी हम पुरे विश्व में अनेकता में एकता, साम्प्रदायिक एकता की मिशाल है, और हम विकसित देश बनने की रह में अग्रसर है, मेरा कहना ये है एक आतंकवादी को आतंकवादी रहने दिया जाये, देश के साथ जंग छेड़ने का आरोप लगा कर उस को उस के अपने देश एवं आतंकवादी समुदाय में एक महान क्रन्तिकारी सहीद न कहलाने दे, इस तरह के आरोपों के कारण वो अन्य
अतंकवादियो की प्रेरणा न बन जाये इस बात का ध्यान रखा जाये,
आतंकवादी को आतंकवादी रहने दिया जाये...????

No comments:

Post a Comment