मुंबई में आतंकी हमला करने पर कसाब को सजा-ए-मौत की सजा मिली है, इस फेसले का स्वागत है,
पर क्या एक आतंकवादी पर 122करोड़ की आबादी वाले देश के
खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाना उचित है ? 122 करोड़ की आबादी वाले
विकाशसील देश के खिलाफ एक आतंकी की इतनी हेसिएत ?? की देश के खिलाफ जंग छेड़े. ???
मेरी बात का अर्थ ये है की, कसाब पर जो आई.पी.सी के तहत देश के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया गया है वो गलत है, इस तरह के आरोप एक आतंकवादी पर लगाने से हमारा देश कमजोर दीखता है,
सिर्फ एक आतंकवादी हमारे देश के साथ जंग शुरु कर देता है भारत के साथ जंग छेड़ देता है,
भारत वो देश है जहा विश्व विजेता सिकंदर भी हार कर गया,
मुग़ल, अंग्रेजो ने कितनो साल साशन किया, हम ने उन की गुलामी झेली, मगर आज भी हम पुरे विश्व में अनेकता में एकता, साम्प्रदायिक एकता की मिशाल है, और हम विकसित देश बनने की रह में अग्रसर है, मेरा कहना ये है एक आतंकवादी को आतंकवादी रहने दिया जाये, देश के साथ जंग छेड़ने का आरोप लगा कर उस को उस के अपने देश एवं आतंकवादी समुदाय में एक महान क्रन्तिकारी सहीद न कहलाने दे, इस तरह के आरोपों के कारण वो अन्य
अतंकवादियो की प्रेरणा न बन जाये इस बात का ध्यान रखा जाये,
आतंकवादी को आतंकवादी रहने दिया जाये...????
Tuesday, May 11, 2010
Thursday, April 8, 2010
नक्सलवाद के खिलाफ सेना ???
नक्सलवाद के कारण पूरा देश और हमारा छत्तीसगढ़ त्रस्त है और लगता है नक्सलवाद की समस्या कुछ वर्षो बाद श्रीलंका के लिट्टे की तरह गंभीर रूप न लेले.
मगर इन सभी के बीच निर्दोष आदिवाशी मारे जाते रहे है और हमारे सिपही बेकार ख़ुफ़िया तंत्र के कारण मारे जा रहे है छत्तीसगढ़ में तो नक्सलवाद नाशुर बन गया है.
अब यहाँ और आस-पास के राज्यों में रास्ट्रपति साशन लगा दिया जाना जरुरी हो गया है.
जरा गंभीर चिंतन करने का विषय है, अगर नक्सलवाद ने श्रीलंकन लिट्टे का रूप ले लिया तो फिर पुलिस क्या,सुरक्षा बल क्या, थल सेना और वायु सेना तो लानी ही पड़गी ?
इस कारण कल करे सो आज कर की निति अपनाते हुवे एक देश व्यापी गंभीर चिंतन कर नक्सलवाद के खिलाफ सेना का इस्तमाल किया जाये ??
मगर इन सभी के बीच निर्दोष आदिवाशी मारे जाते रहे है और हमारे सिपही बेकार ख़ुफ़िया तंत्र के कारण मारे जा रहे है छत्तीसगढ़ में तो नक्सलवाद नाशुर बन गया है.
अब यहाँ और आस-पास के राज्यों में रास्ट्रपति साशन लगा दिया जाना जरुरी हो गया है.
जरा गंभीर चिंतन करने का विषय है, अगर नक्सलवाद ने श्रीलंकन लिट्टे का रूप ले लिया तो फिर पुलिस क्या,सुरक्षा बल क्या, थल सेना और वायु सेना तो लानी ही पड़गी ?
इस कारण कल करे सो आज कर की निति अपनाते हुवे एक देश व्यापी गंभीर चिंतन कर नक्सलवाद के खिलाफ सेना का इस्तमाल किया जाये ??
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